कौरव का जन्म कैसे हुआ? कौरव की उत्पत्ति कैसे हुई?
ध्रितराष्ट्र के 100 पुत्र मिलकर कौरव कहलाये जिसमे दुर्योधन सबसे बड़ा था। गान्धारी को भगवान शिव से 100 पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त था। गान्धारी का प्रसव 15 महीने बाद हुआ था। इस चिंता और गुस्सा से ध्रितराष्ट्र ने अपने दासी के साथ ही संभोग करके 1 पुत्र प्राप्त किये थे। जबकि गान्धारी ने 15 महीने बाद एक मांश का बड़ा सा टुकड़ा को जन्म दिया। जिसे देखने के बाद सब आश्चर्य में पड़ गए। उसके बाद ऋषि मुनि से बात किया गया तब ऋषि मुनि ने सभी विधि बताया कि कैसे मांश के टुकड़े से बच्चे का जन्म होगा। उसके बाद ऋषि के विधि अनुसार मांश को 100 टुकड़े में विभाज्य करके उस सभी एक-एक भाग को एक-एक घड़े में रखकर उस पर मंत्र किया गया। उसके बाद घड़े से 99 पुत्र की प्राप्ति हुई। और एक पुत्री दुशाला की प्राप्ति हुई। जो श्यानि होने पर जयद्रथ से ब्याही गई।
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कौरव का जन्म कैसे हुआ? कौरव की उत्पत्ति कैसे हुई? |
ध्रितराष्ट्र के 100 पुत्र मिलकर कौरव कहलाये जिसमे दुर्योधन सबसे बड़ा था। गान्धारी को भगवान शिव से 100 पुत्र प्राप्ति का वरदान प्राप्त था। गान्धारी का प्रसव 15 महीने बाद हुआ था। इस चिंता और गुस्सा से ध्रितराष्ट्र ने अपने दासी के साथ ही संभोग करके 1 पुत्र प्राप्त किये थे। जबकि गान्धारी ने 15 महीने बाद एक मांश का बड़ा सा टुकड़ा को जन्म दिया। जिसे देखने के बाद सब आश्चर्य में पड़ गए। उसके बाद ऋषि मुनि से बात किया गया तब ऋषि मुनि ने सभी विधि बताया कि कैसे मांश के टुकड़े से बच्चे का जन्म होगा। उसके बाद ऋषि के विधि अनुसार मांश को 100 टुकड़े में विभाज्य करके उस सभी एक-एक भाग को एक-एक घड़े में रखकर उस पर मंत्र किया गया। उसके बाद घड़े से 99 पुत्र की प्राप्ति हुई। और एक पुत्री दुशाला की प्राप्ति हुई। जो श्यानि होने पर जयद्रथ से ब्याही गई।