कुंती को कौन से वरदान मिले थे, और किसने कुंती को वरदान दिए थे। kunti ko kaun se vardaan mile thhe, aur kisne kunti ko vardaan diye thhe.
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कुंती को कौन से वरदान मिले थे, और किसने कुंती को वरदान दिए थे। kunti ko kaun se vardaan mile thhe, aur kisne kunti ko vardaan diye thhe. |
कुंती के बचपन का नाम प्रया था। वह यदुवंश के प्रसिद्ध राजा शुरशेन जो श्री कृष्ण के पितामह थे। उन्ही की पुत्री थी। कुंती भोज शुरशेन के फुफेरे भाई थे और निसंतान थे। इसलिए बचपन में ही अपनी पुत्री पृथा को उन्हें सौप दिया था। कुंती भोज के यहां पर पृथा का नाम कुंती पर गया।
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कुंती को कौन से वरदान मिले थे, और किसने कुंती को वरदान दिए थे। kunti ko kaun se vardaan mile thhe, aur kisne kunti ko vardaan diye thhe. |
कुंती के युवा अवस्था के समय एक बार दुर्वाशा ऋषि कुंती भोज पधारे थे। कुंती ने बड़ी सहनशीलता से उनकी सेवा की थी। दुर्वाशा ऋषि से सभी लोग डरते थे। लेकिन कुंती ने बिना किसी डर के दुर्वाशा ऋषि की खूब सेवा की थी। जाते समय दुर्वाशा ऋषि ने प्रसन्न होकर कुंती को एक दिव्य मंत्र दिया और कहा - कन्या यह मंत्र पढ़कर तुम जिस किसी भी देवता का ध्यान करोगी उसी देवता के अंश से तुम्हे उसी देवता समान तेजस्वी पुत्र होगा।
और इस तरह से कुंती को ऋषि दुर्वाशा का वरदान प्राप्त हुआ, जिसे कुंती मंत्र द्वारा श्रवण करती थी।
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